परसों की ही तो बात है
स्टार्चिले बेदाग़ सफ़ेद कुरते में मिले थे तुम
पर ऐक अमिट दाग छोड़ गए मेरे खयालो पर
अब ऐक बरस हो गया है उस परसों को बीते
तस्वीर भूरी हो चली है
कुछ धुंधली भी
लफ़्ज़ों के धार पर जंग लग चूका है
दाग पर धुल भी जम गयी है
फिर कब मिलोगे की ये याद ताज़ा कर लें?