न ही ये Calender है किसी साल का
ये तो रोज़ एक कहानी सुनती है
तवारीखों की, तारीखों की और सालों की
समेट लिया है इसने समय को
सीने में है कई राज़ छुपे
पलट देना पन्ने को महीने के अंत में
ले जाएगी ये तुमे कल में
किसी और ही पल में
शुक्रिया Gulzar व Mehek
Now I know why You were up so late last night.. :)
ReplyDeleteIts lovely,, Loved seeing my name out there.. #Hugs