Friday, August 31, 2012

एक कप सुलेमानी



चलो आओ एक सुलेमानी पे  
याद करें कुछ भूली बातें  
बात करें कुछ यादों की  
कुछ भूले हुए किताबों से   

चलो आओ एक सुलेमानी पे  
किताब पढ़ें कोई  
तलाशें उन पन्नो को मिल के  
खो गए थे जो इतिहास में   

चलो आओ एक सुलेमानी पे  
भुला दें वो गिले शिकवे हम  
यारों की महफ़िल जमाएं  
बेग़राज वो दिन फिर जी जायें   

यारा, दो सुलेमानी और ले आ  
की कापुच्चिनो में वो बात कहाँ  
पृथ्वी के इन बेंचों पर  
आजा भुलाके सारा जहान । 

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