Monday, February 28, 2011

Ek Kathputli




बुढ़ा सा एक शक्श
आखों में लगे थे चश्मे
सर पर एक सफ़ेद सी टोपी
और लिपटी हुई थी एक मफलर गले से
झोला टंगा था एक काँधे से
और हात में थे हम

हम
काठ के कुछ पुतले
रोते बिलकते हम
उसकी पोटली भर दुनिया में
दुनियादारी करते हम
लड़ते झगड़ते हम

अचानक एक छोटे बच्चे ने उसका रस्ता रोक लिया
और पुतले की तरफ इशारा करते हुए पुचा
"अंकल, कितने की है ये कटपुतली?"

जवाब आज भी याद है मुझे
"तुम्हारी एक मुस्कान से महेंगी नहीं है ये कटपुतली!"

A few weeks back, on one of my trips in pursuit of the time travellers, I had an opportune meeting with the Puppet Master. With a bag full of puppets, he was selling happiness, at a mere price of a smile. Strange these time travellers are. Give life a new meaning each time I meet them.