Monday, September 24, 2012

बावरे से




बावरी सी ऐक कहानी
बावरे से दो शक्स की,
बावरी सी ऐक रात
जो बावरी और मदहोश थी

बावरे से ज़िद्द पे था ये बावरा सा मन अड़ा
एक ओर थी बावरी और दुनिया दूजे छोर खड़ा

बावरे से कुछ ख्याल मेरे बावरे दिल की थी
और ट्रेन की भीड़ में कहीं वह मतवाली और बावरी

और शाम को..

बावरी को देख कर उम्हड़ आए वह पल सभी
दिल की सुनते बावरे से भवरे थे हम भी कभी
बावरा जो क़ैद था ज़िन्दगी के पेंच में
तोड़ डाली बावरी ने उन बेड़ियों को अभी

अब तो बस बावरी कहानी और बावरा ये शहर
और बावरे से कई किस्से लिखने है शामो सेहर

P.S .

बावरा सा गीत है ये हमको बेहद पससंद
करते शुक्रिया आपको, ए बावरे से स्वानंद


Friday, August 31, 2012

एक कप सुलेमानी



चलो आओ एक सुलेमानी पे  
याद करें कुछ भूली बातें  
बात करें कुछ यादों की  
कुछ भूले हुए किताबों से   

चलो आओ एक सुलेमानी पे  
किताब पढ़ें कोई  
तलाशें उन पन्नो को मिल के  
खो गए थे जो इतिहास में   

चलो आओ एक सुलेमानी पे  
भुला दें वो गिले शिकवे हम  
यारों की महफ़िल जमाएं  
बेग़राज वो दिन फिर जी जायें   

यारा, दो सुलेमानी और ले आ  
की कापुच्चिनो में वो बात कहाँ  
पृथ्वी के इन बेंचों पर  
आजा भुलाके सारा जहान । 

Tuesday, July 31, 2012

A Lucid Dream





गेहरा कुहंसा था या घने बदल
पता नहीं क्या था
वक़्त बढ़ भी तोह नहीं रहा था

घड़ी की सुइयां गुमराह कर रही थीं
या मेरी सोच अपना रह खो चुकी थी 
कपड़े भीगे हुए पर आसमां साफ़ था
ओस रूह को छु रही थी

पता नहीं कहाँ था उस पल मैं
ख्वाबों में या जगा हुआ
धरती पे या परे

उस धुंद में बस नज़र आ रही थी मेरी परछाई
किसी की तलाश थी उसे
एक लौव की शायद
सूरज भी तो नहीं था आसमां में 

शायद ओस की बूंदों ने उसे भी बुझा दिया हो
शायद रात का वक़्त था
शायद घड़ी की सुईयां गुमराह कर रही थीं |


Saturday, June 30, 2012

मैं उडूँगा




जला दो 
जला दो आज मुझे 
मैं उडूँगा

काट दो
काट दो पंख मेरे आज 
मैं उडूँगा

क़ैद कर लो 
क़ैद कर लो आज पिंजरे में तुम 
मैं उडूँगा 

बारिश के बूंदों के साथ भर जाते हैं घाव मेरे
और बह जाता है दर्द पानी के साथ
सपने देखने लगता हूँ मैं इस सांवले आसमां की
और उमड़ आते हैं अरमान कई, इन पागल लहरों की तरह

आखों के wiper शुरू हो जाते हैं चलना 
और दिखने लग जाता है कल, जो अब तक धुंधला सा था
पैर, जो मैले हो गए थे रोज़ के कुँत्लों से
धुल जातें हैं इस बहाव में

रोक ना सकोगे तुम मुझे
बाँध लो बेड़ियों में अपनी चाहे
काम ना आएँगी तुम्हारी झूठी खुशियाँ
कि मैंने आसमां छु लिया है आज
कि मैंने खून चख़ लिया है आज

ए बादल, आज जम के बरस 
ना रोक खुद को किसी आपे में तू 
कि मैं उडूँगा


Sunday, May 13, 2012

एक धुंदली सी तस्वीर




परसों की ही तो बात है
स्टार्चिले बेदाग़ सफ़ेद कुरते में मिले थे तुम
पर ऐक अमिट दाग छोड़ गए मेरे खयालो पर

अब ऐक बरस हो गया है उस परसों को बीते
तस्वीर भूरी हो चली है 
कुछ धुंधली भी
लफ़्ज़ों के धार पर जंग लग चूका है
दाग पर धुल भी जम गयी है

फिर कब मिलोगे की ये याद ताज़ा कर लें?

Monday, April 30, 2012

कुछ सवाल



क्यों डूबा दिया था उस कश्ती को मंझधार में? 
क्यों क़त्ल कर दिए गए वो किरदार?
तैरना भी तो नहीं आता था उन्हें...क्यों नहीं बचाया उनको?
क्यों छोड़ आए थे उनकी लाश समंदर में?

माझी! कई सवाल हैं मेरे पास..
जिन्हें नंगे घाव की तरह जलता हुआ छोड़ आए थे तुम उस  रात 
बहुत  सोचा था...कभी मिलोगे तो पूछ लूँगा तुमसे

पर घाव पे मरहम  लग  चुका है वक़्त का
अब इन प्रश्नचिन्हो की आदत हो गयी है

नहीं दरकार है अब इन  सवालों के जवाब
उनसे अब दर सा लगता है
घाव खुल ना जाये फिर से
दर्द तो मुझे ही होगा
और भुगतना भी तो मुझे ही है 


Saturday, March 31, 2012

जलते हुए ख्याल (Burning thoughts)




आग सुलग रही है हर तरफ
देहक रहा है ये शहर
और लू चल रही है साँसों से 

चट्टान जल रहे है आज
मोम जैसे पिघल रहे हैं मकान
और जलती चिताओं की लाइन लगी है राशन की दूकान पर

अखब़ार जल रहा है
चिट्टी जल रही है 
कलम की स्याही सुख कर जवाला बन गयी है

रगों में लहू नहीं, लावा बह रही है
दिमाग पिघल कर नाक कान से बह रहा है
आखों से आंसू नहीं, गरम भाप निकल रही है
और ज़बान शोले उगल रहे हैं



अब कुछ जले हुए ख्याल सेष बाकी है,
और ख्वाब जल कर राख़ से बिखरे हैं मेज़ पर मेरे

बस ये ऐक दिल है, जो देहक नहीं, धड़क रहा है
अब के सावन इसे भी ना सुलगा दे 

There is fire every where. The entire city is burning. There are burning cadavers walking on the streets.
Blood is flowing like magma. Molten Brains are flowing through the crevices. Tears are evaporating and mouths have become flame throwers. 
Now some burnt thoughts remain...and the ashes of my dreams lay scattered on the floor.
Just this Heart. Its still beating. 
Hope the rains don't ignite it too.

Wednesday, February 29, 2012

कुछ गिरहें (Some Knots)




कल गुलज़ार के नज्मों की ऐक किताब लिए बैठा था | पन्ने पलट ही रहा था की इस  Black and White नज़्म से मुलाक़ात हुई | मनो मेरी ही काहानी लिए कब से उन पन्नो में जा छुपा बैठा है | गुलज़ार की नज्में बहुत रंगबिरंगी होती हैं, पर इसमें मुझे ऐक सुना सा चेहरा नज़र आया | दुनिया से लड़ते लड़ते छिल गया था, थक गया था | 


कितनी गिरहें खोली हैं मैने
कितनी गिरहें अब बाकी हैं

पांव मे पायल, बाहों में कंगन, गले मे हन्सली, 
कमरबन्द, छल्ले और बिछुए
नाक कान छिदवाये गये
और ज़ेवर ज़ेवर कहते कहते
रीत रिवाज़ की रस्सियों से मैं जकड़ी गयी

उफ़्फ़ कितनी तरह मैं पकड़ी गयी...

अब छिलने लगे हैं हाथ पांव, 
और कितनी खराशें उभरी हैं
कितनी गिरहें खोली हैं मैने 
कितनी रस्सियां उतरी हैं

कितनी गिरहें खोली हैं मैने
कितनी गिरहें अब बाकी हैं

अंग अंग मेरा रूप रंग
मेरे नक़्श नैन, मेरे भोले बैन
मेरी आवाज़ मे कोयल की तारीफ़ हुई
मेरी ज़ुल्फ़ शाम, मेरी ज़ुल्फ़ रात
ज़ुल्फ़ों में घटा, मेरे लब गुलाब
आँखें शराब
गज़लें और नज़्में कहते कहते
मैं हुस्न और इश्क़ के अफ़सानों में जकड़ी गयी

उफ़्फ़ कितनी तरह मैं पकड़ी गयी...

मैं पूछूं ज़रा, मैं पूछूं ज़रा
आँखों में शराब दिखी सबको, आकाश नहीं देखा कोई
सावन भादौ तो दिखे मगर, क्या दर्द नहीं देखा कोई
क्या दर्द नहीं देखा कोई

फ़न की झीनी सी चादर में
बुत छीले गये उरियानि के
तागा तागा करके पोशाक उतारी गयी
मेरे जिस्म पे फ़न की मश्क़ हुई
और आर्ट-कला कहते कहते 
संगमरमर मे जकड़ी गयी

उफ़्फ़ कितनी तरह मैं पकड़ी गयी...

बतलाए कोई, बतलाए कोई
कितनी गिरहें खोली हैं मैने
कितनी गिरहें अब बाकी हैं

कितनी सच बात कही है गुलज़ार ने! 

खुली हुई है कुछ गिरहें मेरी भी
टूटे हुए हैं धागे कई
ज़ेवर बिखरे पड़े हैं मेज़ पर
और ऐक दिल रखा हुआ है  उस पुरानी सी अलमारी में...

Tuesday, January 31, 2012

Mutilated and Scattered





तोड़ आया था मैं कल
कुछ ख्वाब
और उनके साथ कुछ सपने

जला दिए थे मैं कल
कुछ ख़त
और उनके साथ वह लम्हे

फाड़ दीं थी मैंने कल
वह तस्वीर
और उसके साथ जुड़े वह पल

कुचल आया था मैं कल
ऐक दिल
और उसके लाखों अरमां

काट आया था मैं कल
ऐक रिश्ता
और उसकी नसें

जलाई दीं मैंने कल
वह लाशें

बिखरा कर आ रहा हूँ
उसके अवशेष

अख़बार में पढ़ लेना कल
मेरे मौत का चर्चा |

Mutilated and Scattered. 
Some Dreams. Some Letters. Some Photographs. A Heart. A Relationship.
I had cremated a cadaver yesterday.  
Do read it tomorrow. The story of my Death.