अकसर जब कोई सवाल सताता है
मैं समरदार की ओर चल पड़ता हूँ
शायद सोचकर मेरे सवालों के जवाब देंगी ये लहरें
या कोई तोह रह दिखा देंगी ये लहरें
असल में कभी गौर ही नहीं किया
पर पिछले हफ्ते यूँ ही निकल पड़ा इन लहरों की ओर
सवाल उलझे हुए थे कुछ
लहरों के शोर में ऐक जवाब खोज रहा था
कोशिश तो बहुत कर रही थीं वह लहरें कुछ कहने को
पर मैं ही उनकी डोर नहीं पकड़ पा रहा था
चल तो रहा था पर बस पैरों के निशान दिख रहे थे
जवाब नहीं मिल रहा था
बहुत देर रहा बहुत दूर चला मैं
अब पांव भी कह रहे थे की लौट पड़ो तुम
पीछे मुदा तो देखा
लहरों ने सारे निशान मिटा दिए थे
और कोरा रेत साफ़ चमक रहा था
शायद मुझे जवाब मिल चूका था
लोग अक्सर आते हैं यहाँ अपनी उलझनें लेकर
पर देखो, समंदर की ऐक लहर काफी होती है
उनके पैरों के निशाँ मिटा देने के लिए
मैं समरदार की ओर चल पड़ता हूँ
शायद सोचकर मेरे सवालों के जवाब देंगी ये लहरें
या कोई तोह रह दिखा देंगी ये लहरें
असल में कभी गौर ही नहीं किया
पर पिछले हफ्ते यूँ ही निकल पड़ा इन लहरों की ओर
सवाल उलझे हुए थे कुछ
लहरों के शोर में ऐक जवाब खोज रहा था
कोशिश तो बहुत कर रही थीं वह लहरें कुछ कहने को
पर मैं ही उनकी डोर नहीं पकड़ पा रहा था
चल तो रहा था पर बस पैरों के निशान दिख रहे थे
जवाब नहीं मिल रहा था
बहुत देर रहा बहुत दूर चला मैं
अब पांव भी कह रहे थे की लौट पड़ो तुम
पीछे मुदा तो देखा
लहरों ने सारे निशान मिटा दिए थे
और कोरा रेत साफ़ चमक रहा था
शायद मुझे जवाब मिल चूका था
लोग अक्सर आते हैं यहाँ अपनी उलझनें लेकर
पर देखो, समंदर की ऐक लहर काफी होती है
उनके पैरों के निशाँ मिटा देने के लिए