जला दो
जला दो आज मुझे
मैं उडूँगा
काट दो
काट दो पंख मेरे आज
मैं उडूँगा
क़ैद कर लो
क़ैद कर लो आज पिंजरे में तुम
मैं उडूँगा
बारिश के बूंदों के साथ भर जाते हैं घाव मेरे
और बह जाता है दर्द पानी के साथ
सपने देखने लगता हूँ मैं इस सांवले आसमां की
और उमड़ आते हैं अरमान कई, इन पागल लहरों की तरह
आखों के wiper शुरू हो जाते हैं चलना
और दिखने लग जाता है कल, जो अब तक धुंधला सा था
पैर, जो मैले हो गए थे रोज़ के कुँत्लों से
धुल जातें हैं इस बहाव में
रोक ना सकोगे तुम मुझे
बाँध लो बेड़ियों में अपनी चाहे
काम ना आएँगी तुम्हारी झूठी खुशियाँ
कि मैंने आसमां छु लिया है आज
कि मैंने खून चख़ लिया है आज
ए बादल, आज जम के बरस
ना रोक खुद को किसी आपे में तू
कि मैं उडूँगा