Monday, September 24, 2012

बावरे से




बावरी सी ऐक कहानी
बावरे से दो शक्स की,
बावरी सी ऐक रात
जो बावरी और मदहोश थी

बावरे से ज़िद्द पे था ये बावरा सा मन अड़ा
एक ओर थी बावरी और दुनिया दूजे छोर खड़ा

बावरे से कुछ ख्याल मेरे बावरे दिल की थी
और ट्रेन की भीड़ में कहीं वह मतवाली और बावरी

और शाम को..

बावरी को देख कर उम्हड़ आए वह पल सभी
दिल की सुनते बावरे से भवरे थे हम भी कभी
बावरा जो क़ैद था ज़िन्दगी के पेंच में
तोड़ डाली बावरी ने उन बेड़ियों को अभी

अब तो बस बावरी कहानी और बावरा ये शहर
और बावरे से कई किस्से लिखने है शामो सेहर

P.S .

बावरा सा गीत है ये हमको बेहद पससंद
करते शुक्रिया आपको, ए बावरे से स्वानंद


1 comment:

  1. Banwari si ye kavita..
    Banware mann ko yun choo gayi..
    Banware har lafz mein tere..
    Banwari main kahin kho chali..

    Banwara ye kissa sunkar..
    Banwarapan chaa gaya..
    Banwari si un yaadon ko..
    Phir se Mehka gaya..

    I loved it Abheek.
    And the picture, its perfect.

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